बिना पुख्‍ता सरकारी कार्यक्रम के डेंगू पर नहीं लग पाएगा अंकुश, अब तक 67 हजार मरे

बिना पुख्‍ता सरकारी कार्यक्रम के डेंगू पर नहीं लग पाएगा अंकुश, अब तक 67 हजार मरे

नरजिस हुसैन

भारत में इस साल यानी 13 अक्तूबर, 2019 तक डेंगू के बुखार से मरने वालों की कुल तादाद 67,000 से भी ऊपर पहुंच गई है। यह आंकड़ा हाल ही में Directorate of the National Vector Borne Disease Control Programme (NVBDCP) ने जारी किया था। जिस तरह पिछले कुछ सालों से देश में डेंगू बुखार से लोग मर रहे हैं तो ऐसे में इसे एक महामारी माना जा सकता है बल्कि, रिपोर्ट में आधिकारिक तौर पर यह माना भी गया है। हर साल बरसात से शुरू हुए इस बुखार से लोग सर्दी की शुरूआत तक शिकार बनते हैं। हाल अगर यही रहा तो आने वाले वक्त में इसे पब्लिक हेल्थ यानी सार्वजनिक स्वास्थ्य का गंभीर मुद्दा सरकार को मानना ही पड़ेगा।

बहरहाल, 67,000 से भी ज्यादा मामले जो दर्ज किए गए उनमें कर्नाटक में डेंगू बुखार से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा बताई गई है। कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र में 7,863, उत्तराखंड में 7,513, गुजरात में 5,819, केरल में 3,075, बिहार में 1,588 और दिल्ली में 1,431 डेंगू के मामले 13 अक्तूबर तक दर्ज किए गए।

21 जून, 2019 को लोक सभा में कर्नाटक के सासंद बीके हरिप्रसाद के सवाल के जवाब में यह बात सामने आई कि हर साल की तरह इस साल भी देश में दक्षिण भारतीय राज्यों में उत्तर भारत के मुकाबले लोग डेंगू के ज्यादा शिकार हुए हैं। जवाब में बताया गया कि अब तक यानी 21 जून तक इन राज्यों में छह लोगों की जानें गई और 6,210 लोग इससे पीड़ित हुए।

अब तो यह बुखार पूरे भारत और बल्कि केन्द्र शासित प्रदेशों तक सब जगह तेजी से अपनी पकड़ बना चुका है। गुजरात और राजस्थान जैसे भारत के सूखे राज्य भी 2019 में इसके शिकार हुए हैं। मच्छर के जरिए फैलने वाली यह बीमारी फिलहाल देश की 48 जानलेवा बीमारियों में भी आती है। लेकिन, ऐसा नहीं है कि अकेले भारत इससे जूझ रहा है फिलहाल पूरी दुनिया की आधी आबादी यानी 3.5 खरब लोग हर साल सिर्फ डेंगू बुखार के खतरे के साये में जीते हैं।

डेंगू के 70 फीसदी मामले अर्ध नम इलाकों जैसे भारत और ब्राजील में पाए जाते हैं क्योंकि यहां की जलवायु मच्छरों के पनपने में मदद करती है। घर या आस-पास जगहों पर पानी के रुके रहने या साफ-सफाई न हो पाने वाली जगहों पर डेंगू का मच्छर बहुत जल्दी पनपता है। यूं तो सरकार ने डेंगू के बारे में काफी जागरुकता फैलाई है और वक्त-वक्त पर रोकथाम के लिए भी कदम बढ़ाए हैं लेकिन, मामले जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए यह कोशिश काफी नही है।

भारत में बेवक्त बारिश या बारिश के बदलते पैटर्न, शहरीकरण और गर्म हवाओं में डेंगू के मच्छर सबसे तेजी से पैदा होते हैं। जलवायु में बदलाव की वजह से देश में बारिश का चक्र गड़बड़ा गया है और ऐसे में गर्म हवाएं इन मच्छरों की संख्या और बढ़ाती है। दक्षिण पश्चिम मानसून से देश हर साल जून-सितंबर के बीच करीब 75 प्रतिशत बारिश होती है।

लेकिन, अगर बात कुछ साल पहले की देखी जाए तो अब डेंगू का फैलाव कुछ कम देखा गया है। जिस पर जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में भारत में तेजी से बढ़ता तापमान डेंगू का दुश्मन बना। ज्यादा गर्म इलाकों में ये मच्छर न तो पैदा हो पाते हैं और न ही फैल पाते हैं। अब यह बात भी गंभीर है कि देश में साल-दर-साल तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है जो अपनें आप में खतरनाक है।

कुछ विशेषज्ञों ने अपने पेपर The Organization, Implementation, and Functioning of Dengue Surveillance in India- A Systematic Scoping Review(https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6407027/) में  NVBDCP पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संगठन के पास न तो डेंगू की रोकथाम का कोई पुख्ता मॉडल है और संगठन देश में 0.5 फीसदी से भी कम डेंगू के मामले दर्ज करती है। हालांकि, कुछ ऐसा ही सवाल लैंसेट ने भी NVBDCP पर उठाया था। पेपर में कहा गया है कि NVBDCP को इस दिशा में संगठित कार्यक्रम चलाने होगें और प्राइवेट सेक्टर को भी एकीकृत रूप में डेंगू के मामले फौरन NVBDCP को रिपोर्ट करने होंगे।

 

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